दस्तावेजों से की गई राजस्व भूमि की हेराफेरी – निवाड़ी जिले में बड़ा खुलासा, कमिश्नर ने दिए आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के आदेश
फर्जी दस्तावेजों से की गई राजस्व भूमि की हेराफेरी – निवाड़ी जिले में बड़ा खुलासा, कमिश्नर ने दिए आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के आदेश
मध्यप्रदेश के निवाड़ी जिले में राजस्व दस्तावेजों की हेराफेरी और फर्जीवाड़े का एक बड़ा मामला सामने आया है। ग्राम बबेड़ी जंगल की लगभग 8.000 हेक्टेयर भूमि को फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से हस्तांतरित करने के मामले में कमिश्नर सागर संभाग डॉ. वीरेन्द्र सिंह रावत ने कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं। इस प्रकरण में कई राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आई है, जिनके विरुद्ध अब आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाएगा।
🌾 क्या है मामला?
यह मामला निवाड़ी जिले की ओरछा तहसील के ग्राम बबेड़ी जंगल में स्थित भूमि से जुड़ा है। खसरा नंबर 37/7/1/1, रकबा 8.000 हेक्टेयर भूमि के राजस्व अभिलेखों में फर्जी प्रविष्टियां दर्ज की गईं थीं। जांच में सामने आया कि:
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भूमि संबंधी अभिलेखों में छेड़छाड़ की गई।
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पुराने दायरा पंजी वर्ष 1969-70 के पृष्ठों को फाड़कर, सेलोटेप से जोड़कर फर्जी प्रविष्टियां की गईं।
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विभिन्न प्रकार की स्याही से जानबूझकर प्रविष्टियां बदली गईं ताकि असली जानकारी छुपाई जा सके।
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अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से यह आपराधिक कार्यवाही अंजाम दी गई।
🕵️♂️ कैसे हुआ खुलासा?
दो पक्षों ने राजस्व न्यायालय में इस भूमि पर अपना-अपना दावा किया था। इसके बाद कमिश्नर डॉ. वीरेन्द्र सिंह रावत ने कलेक्टर निवाड़ी के माध्यम से भूमि की वास्तविक स्थिति की जांच करवाई। जांच में यह बात उजागर हुई कि:
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दायरा पंजी क्रमांक 40 से 48 तक के प्रकरण फर्जी तरीके से दर्ज किए गए।
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अभिलेखों में इस्तेमाल स्याही, फाड़े गए पृष्ठ, और सेलोटेप से जोड़े गए दस्तावेज दर्शाते हैं कि यह सुनियोजित षड्यंत्र था।
⚖️ कमिश्नर ने दिए ये सख्त आदेश:
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संबंधित राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए।
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तहसीलदार ओरछा को आदेशित किया गया है कि इस भूमि को पुनः मध्यप्रदेश शासन के नाम दर्ज किया जाए।
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भूमि का कब्जा शासन को दिलाया जाए।
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15 दिनों के भीतर कार्रवाई कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
❗ सरकारी भूमि को पहुंचाई गई हानि:
यह पूरी साजिश शासन की बहुमूल्य भूमि को गलत तरीके से अपने नाम कराने और क्रय-विक्रय के लिए की गई थी। यह न केवल सरकारी संपत्ति की हानि है बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था और पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करता है।
🔚 निष्कर्ष:
इस पूरे प्रकरण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किस प्रकार योजनाबद्ध तरीके से कुछ लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी कर शासन को चूना लगाने की कोशिश की। सागर संभाग के कमिश्नर द्वारा की गई यह कार्रवाई न केवल अनुकरणीय है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अब इस तरह की गतिविधियों पर सख्ती से रोक लगाने का समय आ गया है।

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